You are currently viewing पुत्र प्राप्ति के लिए किस करवट सोना चाहिए। पुत्र प्राप्ति के लिए डेट कैसे निकालें।
पुत्र प्राप्ति के लिए किस करवट सोना चाहिए। पुत्र प्राप्ति के लिए डेट कैसे निकालें।

पुत्र प्राप्ति के लिए किस करवट सोना चाहिए। पुत्र प्राप्ति के लिए डेट कैसे निकालें।

पुत्र प्राप्ति के लिए किस करवट सोना चाहिए। पुत्र प्राप्ति के लिए डेट कैसे निकालें। पुत्र प्राप्ति के लिए कौन सा स्वर चलना चाहिए। पुत्र प्राप्ति के लिए नारियल का बीज कब खाना चाहिए। लड़का पैदा करने की विधि बताएं। pregnancy me kis side sona chahiye.

पुत्र प्राप्ति के लिए किस करवट सोना चाहिए।

आधुनिक युग से ही पुत्र प्राप्ति की परंपरा चली आ रही हैं। ऐसे में हर कोई दंपति यही चाहता हैं, कि उसे संतान पुत्र प्राप्त हों। पुत्र प्राप्ति की चाहना इसलिए अधिक होती हैं, क्योंकि पुत्र परिवार में बुढ़ापे का सहारा समझा जाता हैं, व साथ ही पुत्र वंश को आगे बढ़ाता हैं, इसलिए आधुनिक युग से लेकर अब तक पुत्र प्राप्ति की चाहना हर दंपत्ति को अधिक होती है। अगर आप की भी चाहना पुत्र प्राप्ति के लिए अधिक हैं, तो आप नीचे दी गई जानकारी को पूरा अवश्य पढ़ें। अगर आप पुत्र प्राप्ति के लिए किस करवट सोना चाहिए अर्थात कौनसे करवट सोने से पुत्र की प्राप्ति होती हैं,आइए जानते हैं! पुत्र प्राप्ति के लिए कुछ लोगों का मानना यह भी हैं, कि स्त्री को बेड पर अपने पति के लेफ्ट साइड सोना हैं । क्योंकि थोड़ी देर बाद बाई करवट सोने से दायां स्वर चालू होता है। तथा दाई करवट सोने से बायां स्वर चालू होता हैं। ऐसे में दाई और सोने से पुरुष का दायां स्वर चलने लगेगा एवं बाई और सोने से स्त्री का बायां स्वर चलने लगेगा। तथा जब ऐसा हो तब दंपति को शारीरिक संबंध बनाना चाहिए। इससे पुत्र प्राप्ति के लिए गर्भधारण हो जाता हैं। लेकिन पुत्र प्राप्ति के बारें में मेरा आपसे यहीं सुझाव हैं, कि पुत्र व पुत्री होना एक प्राकृतिक क्रिया हैं। इंसान का इसमें कोई वश नही चलता हैं, लेकिन फिर भी अगर आप चाहे तो इस तरीके को अपना सकते हैं।

पुत्र प्राप्ति के लिए कौन सा स्वर चलना चाहिए।

पुत्र प्राप्ति के लिए कौन सा स्वर चलना चाहिए। अगर आप यह जानना चाहते हैं की पुत्र प्राप्ति के लिए कौन सा स्वर चलना चाहिए, तो चलिए जानते हैं,इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी । शास्त्रानुसार मासिक स्राव के ठीक बाद की सोलह रातों में ही गर्भाधान संभव होता है। इस में से सात रातों को सम एवं छः रातों को विषम रात्रि कहा जाता हैं। इनमें से प्रथम तीन रात्रि त्यागज्य हैं। एवं चैथी, छठी, आठवीं, दसवीं, बारहवीं, चैदहवीं और सोलहवीं रात्रि सम रात्रि होती है। यदि इन सब रातों में पति-पत्नी सहवास करें तो गर्भधारण होने पर पुत्र की प्राप्ति होती हैं और विषम पांचवी, सातवीं, नौवीं, ग्यारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं रात्रि में सहवास से कन्या (पुत्री) उत्पन्न होती है। स्वर साधना से मनचाही संतान प्राप्त कैसे कर सकते हैं। आइए देखते हैं!

जब पुरूष का सूर्य स्वर (दॉहिना स्वर) चल रहा हो एवं स्त्री का चन्द्र स्वर (बॉया स्वर) चल रहा हो तो उस समय विषय भोग करने से जो गर्भ ठहरता हैं उससे पुत्र की प्राप्ति होगी। लेकिन जब पुरूष का चन्द्र स्वर (बायॉ स्वर) चल रहा हो और स्त्री का सूर्य स्वर (दॉहिना स्वर) चल रहा हो तो विषय सम्भोग करने से पुत्री की प्राप्ति होती है। पंचतत्व के नियमानुसार – पृथ्वी तत्व में पुत्र, जल तत्व में पुत्री, वायु तत्व में गर्भ ‘गल’ जाएगा, अग्नि तत्व में गर्भ गिर जाएगा और आकाश तत्व में नपुंसक’ बच्चे का जन्म होता है। ऐसा माना जाता हैं, कि स्त्री को मासिक स्राव के बाद स्नान करने के पश्चात चौथे दिन से सोलहवें दिन तक भोग करने से गर्भ की प्राप्ति होती है। अगर आप स्वर साधना से मनचाही संतान प्राप्त करना चाहते हैं तो आप स्वर साधना के द्वारा भी मनचाही संतान प्राप्ति कर सकते हैं।

चौथी रात्रि को सहवास करने से अल्पायु तथा दरिद्र पुत्र होता है।
पॉचवी रात्रि में सहवास करने से सुखदायक पुत्री होती है।
छठी रात्रि में सहवास करने से मध्यम आयु वाला पुत्र होता है।
सातवीं रात्रि में सहवास करने से बॉझ पुत्री होती है।
आठवीं रात्रि में सहवास करने से ऐश्वर्यवान पुत्र की प्राप्ति होती है।
नवीं रात्रि में सहवास करने से ऐवर्यवती पुत्री की प्राप्ति होती है।
दसवीं रात्रि में सहवास करने से चालाक पुत्र की प्राप्ति होती है।
ग्यारहवीं रात्रि में सहवास करने से दुश्चरित्र पुत्री की प्राप्ति होती है।
बारहवीं रात्रि में सहवास करने से सर्वोत्तम पुत्र प्राप्त होता है।
तेरहवीं रात्रि में सहवास करने से अशुभ संतान या वर्णसंकर कोखवाली पुत्री होती है।
चौदहवीं रात्रि में सहवास करने से सर्वगुण सम्पन्न पुत्र प्राप्त होता है।
पन्द्रहवीं रात्रि में सहवास करने से भाग्यशाली पुत्री की प्राप्ति होती है।
सोलहवीं रात्रि में सहवास करने से सभी प्रकार से उत्तम पुत्र की प्राप्ति होती है।

पुत्र प्राप्ति के लिए डेट कैसे निकालें।

पुत्र प्राप्ति के लिए डेट कैसे निकालें। अगर आप पुत्र प्राप्ति लिए डेट कैसे निकालें इस बात को लेकर काफी कन्फ्यूज हैं ,तो आज हम आपको यह बताएंगे कि पुत्र प्राप्ति के लिए डेट कैसे निकाले। तो चलिए जानते हैं! पुत्र प्राप्ति के लिए डेट निकालने का तरीका । गर्भाधान करने के संबंध में आयुर्वेद में लिखा गया हैं, कि गर्भाधान मासिक धर्म की आठवीं, दसवीं और बारहवीं रात्रि को ही किया जाना चाहिए। जिस दिन मासिक ऋतु स्राव शुरू होता हैं , उस दिन की रात को प्रथम दिन मानकर गिनती करना चाहिए। छठी, आठवीं आदि सम रात्रियां पुत्र उत्पत्ति के लिए और सातवीं, नौवीं आदि विषम रात्रियां पुत्री की उत्पत्ति के लिए मानी गई हैं ऐसे में आपकी जिस प्रकार की संतान की इच्छा हो, उसी रात्रि को गर्भाधान करना चाहिए। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि इन रात्रियों के समय शुक्ल पक्ष यानी चांदनी रात (पूर्णिमा) वाला पखवाड़ा भी हो, यह अनिवार्य है, यानी कृष्ण पक्ष की रातें हों तो गर्भाधान की इच्छा से सहवास न करें।

इन सबके अलावा इस बात का भी ध्यान रखें कि पूरे मास में ऊपर दी गई विधि से किए गए सहवास के उपरांत पुनः सहवास नहीं करना चाहिए। जिस दिन मासिक ऋतु स्राव शुरू होता हैं उस दिन से 16 रात्रियों में शुरू की चार रात्रियां, ग्यारहवीं व तेरहवीं और अमावस्या की रात्रि गर्भाधान के लिए वर्जित कहीं गई है। सिर्फ सम संख्या अर्थात छठी, आठवीं, दसवीं, बारहवीं और चौदहवीं रात्रि को ही गर्भाधान करना चाहिए।

पुत्र प्राप्ति के लिए नारियल का बीज कब खाना चाहिए।

क्या आप जानते हैं कि पुत्र प्राप्ति के लिए नारियल का बीज कब खाना चाहिए। अगर आप नहीं जानते हैं, और आप इसके बारे में जानना चाहते हैं! कि पुत्र प्राप्ति के लिए नारियल का बीज कब खाना चाहिए, तो आज हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे तो आइए जानते हैं! इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी।

अधिकांश व्यक्तियों अर्थात लोगों की इच्छा लड़की से ज्यादा लड़के की होती हैं। लेकिन आजकल लड़का और लड़की दोनों एक समान हैं। लेकिन फिर भी कुछ लोगों की इच्छा लड़कियों की अपेक्षा लड़कों की अधिक होती हैं। अगर देखा जाए तो लड़कियां भी किसी मामले में लड़कों से कम नहीं है, लेकिन कई लोग पुत्र प्राप्ति के लिए तरह-तरह के उपाय अपनाते रहते हैं पुत्र प्राप्ति को लेकर कुछ लोगों का मानना हैं, कि नारियल के बीज से संतान सुख की प्राप्ति अर्थात पुत्र की प्राप्ति होती हैं ।पुत्र प्राप्ति के लिए नारियल के बीज की भी मान्यता है। ऐसा माना जाता हैं, कि जिसे संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो रही है अर्थात जो दंपत्ति पुत्र प्राप्त करना चाहता है। वह नारियल के बीज का विधि पूर्वक प्रयोग करके संतान सुख की प्राप्ति कर सकतें है।

तो आइए जानते हैं! नारियल के बीज से पुत्र प्राप्ति करने के लिए पूजा विधि किस प्रकार करें।

यह तो आप सभी जानते हैं कि नारियल को पवित्र माना जाता है। इसलिए नारियल का प्रयोग सभी प्रकार की पूजा-पाठ और धार्मिक कामों में किया जाता है।

अगर किसी को पुत्र प्राप्ति की इच्छा है तो नारियल के बीज को सोमवार के दिन नारियल के अंदर से निकालकर इस उपाय को करें।

सोमवार के दिन प्रातः कालीन जल्दी उठे। इसके बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-सुथरे कपड़े धारण करें। उसके बाद “ओम नमः शिवाय” मंत्र की एक माला का जाप करें।

इसके उपरांत भगवान शिव जी से अपने मन की बात कहें। इसके बाद नारियल को शिवलिंग पर अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव जी के सामने देसी घी का एक दीपक जलाएं तथा ओम नमः शिवाय मंत्र से भगवान शिव जी की संपूर्ण श्रद्धा भाव से पूजा- अर्चना करें । इसके पश्चात नारियल बीज को भगवान शिव के पास रखें। इसके बाद आप शाम के समय नारियल या इसके बीज को गंगाजल के पात्र में डालकर रख दीजिए। इसके बाद आप अगले दिन यानी कि मंगलवार के दिन सुबह नारियल के इस बीज को हनुमान जी का ध्यान करते हुए निहार मुंह गाय के दूध के साथ नारियल के बीज को खा लें। लेकिन नारियल का बीज खाते वक्त इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप नारियल के बीज का सेवन सीधा और साबुत निगलकर ही करें अर्थात नारियल के बीज को चबाएं व तोड़े नहीं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने उपरांत पुत्र की प्राप्ति होती हैं।

मोर पंख से पुत्र प्राप्ति की दवा बताएं।

अगर आप मोर पंख से पुत्र प्राप्ति की दवा के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप आसानी से मोर पंख से पुत्र प्राप्ति की दवा प्राप्त करने का तरीका क्या हैं? इसके बारे में आप आसानी से जान सकते हैं, तो चलिए जानते हैं! इसके बारे में संपूर्ण जानकारी।

प्राचीन समय से ही मोर पंख का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता रहा हैं। मोर पंख को श्री कृष्णा अर्थात नारायण का अवतार मानते हैं। क्योंकि भगवान श्री कृष्ण भी अपने मुकुट पर मोर पंख धारण किए हुए हैं। प्राचीन समय में मोर पंख की कलम बनाकर ही बड़े – बड़े ग्रंथ व चिट्ठियां लिखी जाती थी। भगवान श्री कृष्ण के अलावा मोर पंख इंद्र भगवान को भी बहुत अधिक प्रिय हैं । मोर पंख से पुत्र प्राप्ति की इस दवा का इस्तेमाल आपको प्रेगनेंट होने के शुरुआती 35 – 40 दिन में ही इस उपाय को करना होगा। क्योंकि यह तो आप सभी जानते हैं कि प्रेगनेंसी का 25 से 30 दिन के बाद ही पता लग पाता है, की आप प्रेगनेंट हैं और जैसे ही प्रेग्नेंट होना आपको पूरी तरह से कंफर्म हो जाता हैं तो इसके बाद 15 से 20 दिन के अंदर आप इस उपाय को कर सकते हैं। इस उपाय को करने के लिए सबसे पहले आप किसी अच्छे दिन या शुभ दिन की तलाश करें। व उस शुभ दिन के अवसर पर मोर पंख अपने घर पर लेकर आए,और इसे अपने पूजा स्थान में रखें। इसके बाद तीन मोर पंख लें। अब मोर पंख के बीच में जो चाँद जैसा भाग आता हैं, उसे कैंची से काट कर निकाल लें। अब इन तीनो हिस्सों को अच्छे से बिल्कुल बारीक पीस लें त उसमे गुड मिलाकर तीन एक समान गोलियां बना लें।

दवा को लेने का तरीका।

सुबह ब्रह्म मुहूरत में उठकर अर्थात सुबह जल्दी उठकर दैनिक कार्यो से निवृत होकर भगवान विष्णु तथा भगवान श्री कृष्ण से पुत्र प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। अब आप सूरज निकलने से पूर्व तीन दिन तक लगातार गाय के दूध के साथ इन गोलियां का सेवन करें।

दवा लेते वक्त रखी जाने वाली सावधानियां :-

जब भी आप आप इस दवा का सेवन करें तो इस बात का जरूर ध्यान रखें कि दवा लेने के ठीक चार घंटे बाद तक आप कुछ नहीं खाएं। लेकिन यदि आप को प्यास लगती हैं, तो आप पानी पी सकते है। वह भी दो घंटे के बाद पीना हैं।

साथ ही आप इस बात का ख्याल रखें कि जिस गाय के दूध के साथ औषधि ले रहे हैं। वह गाय एक बछड़े की माँ होनी चाहिए तथा उसका बछड़ा जीवित होना चाहिए। गोली में गुड इसलिए मिलाया जाता है ताकि इस दवा को लेने में आसानी रहे हैं।

इस दवा को लेने के बाद फायदा मिले ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रूफ मौजूद नहीं हैं। लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह सभी उपाय कार्य भी कर सकता हैं। तो यदि आापको यह उपाय सही लगें तो आप इस उपाय को करें वरना इसका इस्तेमाल न करें।

पुत्र प्राप्ति के लिए शुक्ल पक्ष में डेट कैसे निकाले।

पुत्र प्राप्ति के लिए शुक्ल पक्ष में डेट कैसे निकाले। क्या आप भी पुत्र प्राप्ति के लिए शुक्ल पक्ष में डेट कैसे निकाली जाती हैं इसका उपाय खोज रहे हैं तो बिल्कुल सही वेबसाइट पर आए हैं। क्योंकि इस वेबसाइट के माध्यम से आप यह आसानी से जान पाएंगे कि पुत्र प्राप्ति के लिए शुक्ल पक्ष में डेट कैसे निकाली जाती है तो चलिए जानते हैं पुत्र प्राप्ति के लिए शुक्ल पक्ष में डेट निकालने का तरीका ।

गर्भाधान मासिक धर्म की आठवीं, दसवीं और बारहवीं रात्रि को ही किया जाना चाहिए। जिस दिन मासिक ऋतु स्राव शुरू हो, उस दिन एवं रात को प्रथम दिन मानकर गिनती करना चाहिए। छठी, आठवीं आदि सम रात्रियां पुत्र उत्पत्ति के लिए तथा सातवीं, नौवीं इत्यादि विषम रात्रि पुत्री की उत्पत्ति के लिए होती हैं। इसलिए आपकी जिस भी प्रकार की संतान की इच्छा हो, उसी के अनुसार गर्भाधान करना चाहिए। पुत्र प्राप्ति के लिए डेट कैसे निकाले इसके लिए इस बात का ध्यान रखें कि इन रात्रियों के समय शुक्ल पक्ष यानी चांदनी रात (पूर्णिमा) वाला पखवाड़ा भी हो, यह अनिवार्य है। यानी कृष्ण पक्ष की रातें हों तो गर्भाधान की इच्छा से सहवास न करें। पूरे मास में इस विधि से एक बार किये गए, सहवास के अलावा पुनः सहवास नहीं करना चाहिए। ऋतु स्राव के दिन से 16 रात्रियों में शुरू की तीन रात्रियां, ग्यारहवीं व तेरहवीं और अमावस्या की रात्रि गर्भाधान के लिए वर्जित मानी गई है। सिर्फ सम संख्या यानी छठी, आठवीं, दसवीं, बारहवीं और चौदहवीं रात्रि को ही गर्भाधान करना चाहिए।

शुक्ल पक्ष में जैसे-जैसे तिथियां बढ़ती हैं, वैसे-वैसे चन्द्रमा की कलाएं भी बढ़ती जाती हैं। ठीक उसी प्रकार से ऋतुकाल की रात्रियों का क्रम भी जैसे-जैसे बढ़ता है, वैसे-वैसे पुत्र उत्पन्न होने की संभावना भी बढ़ती जाती है, यानी कि छठवीं रात अपेक्षा आठवीं, आठवीं की अपेक्षा दसवीं, दसवीं की अपेक्षा बारहवीं रात्रि पुत्र उत्पत्ति के लिए अधिक उपयुक्त होती है।

लड़का पैदा करने की विधि बताएं।

लड़का पैदा करने की विधि बताएं। यदि आप इसके बारे में जानना चाहते हैं तो आइए जानते हैं! लड़का पैदा करने की विधि के बारे में ।
यह तो आप सभी जानते हैं कि प्राचीन समय से ही यह परंपरा चली आ रही है कि जब भी कोई महिला
गर्भवती होती हैं, तो उससे परिवार के सभी सदस्य यही आशा करते हैं कि परिवार में जन्म लेने वाला बच्चा पुत्र ही हों। ऐसे में वह कई तरह के उपाय भी अपनाते हैं ताकि उनके घर – परिवार में पुत्र का ही जन्म हों। क्योंकि आधुनिक समय से ही यह परंपरा रही है कि पुत्र वंश को आगे बढ़ाने वाला व बड़ा होकर परिवार का सहारा बनता है, इसी भावना से पुत्र प्राप्ति की यह परंपरा चली आ रही हैं। अक्सर आपने देखा भी होगा कि लोग पुत्र व पुत्री में बहुत अधिक भेदभाव करते हैं, वैसे तो आजकल लड़का और लड़की को एक ही समान माना जाता हैं। लेकिन फिर भी कहीं ना कहीं पुत्र प्राप्ति की भावना परिवार में अधिक होती हैं।

पुत्र प्राप्ति के लिए लोग कई तरह के अंधविश्वासों पर भी विश्वास करते हैं, ताकि यह सब करने से पुत्र की प्राप्ति हो जाए। लेकिन मेरा मानना तो यह है कि कोई भी दवा या फिर घरेलू उपाय ऐसा नहीं है जिससे कि महिला द्वारा जन्म दिया जाने वाला बच्चा पुत्र ही हो ऐसी कोई भी दवा नहीं हैं।

विज्ञान के अनुसार लड़के या लड़की का जन्म एक्स (X) और वाई (Y) क्रोमोसोम पर निर्भर करता है। क्रोमोसोम एक का डीएनए अणु होता है। महिलाओं में (X) क्रोमोसोम होते हैं, जबकि पुरूषों के अंदर (X) और (Y) दोनों ही तरह के क्रोमोसोम होते हैं। पुरुष और महिला के संभोग के बाद जब वीर्य महिला के अंदर जाता हैं, तब यदि महिलाओं के (X) क्रोमोसोम से पुरुष का (X) क्रोमोसोम मिलता है तो लड़की का जन्म होता है। इसी तरह महिला के (X ) क्रोमोसोम से जब पुरूष के (Y) क्रोमोसोम मिलते हैं तो इससे लड़के का जन्म होता है। लड़का व लड़की पैदा करने में इंसान का कोई वश नहीं चलता हैं।

इसके अलावा लोगों का मानना हैं, कि यदि शुक्ल पक्ष की 6वीं, 8वीं, 12वीं, 14वीं, और 16वीं रात में सहवास किया जाए तो भी पुत्र की प्राप्ति होती है।

कौन से पक्ष में पुत्र की प्राप्ति होती है।

कौन से पक्ष में पुत्र की प्राप्ति होती है। क्या आप यह जानना चाहते हैं कि कौन से पक्ष में पुत्र की प्राप्ति होती है तो आज हम आपको इसके बारे में जानकारी प्रदान करेंगे तो चलिए जानते हैं, कि कौन से पक्ष में पुत्र की प्राप्ति होती है। पुत्र प्राप्ति के लिए विशेष रूप से शुक्ल पक्ष को अत्यन्त प्रभावशाली माना गया है। जबकि कृष्ण पक्ष में पुत्र प्राप्ति हेतु लाभकारी नहीं बताया गया हैं। इसके अलावा माहवारी के दिन से सोलहवें दिन तक का महत्व अलग-अलग बताया गया है। धर्म ग्रंथों में भी पुत्र की प्राप्ति हेतु कुछ जानकारी दी गई है। जिसके अनुसार यदि दंपत्ति सहवास करता हैं तो निश्चित रूप से संतान सुख की प्राप्ति होती हैं।

प्रेगनेंसी में किस साइड सोना चाहिए। pregnancy me kis side sona chahiye.

pregnant lady ko kaise letna chahiye :
प्रेगनेंट महिला को कैसे लेटना चाहिए अर्थात प्रेगनेंसी में किस साइड सोना चाहिए। अगर आप भी इसके बारे में जानना चाहते हैं तो आप हमारे द्वारा दी गई जानकारी के माध्यम से आसानी से यह जान सकते हैं कि प्रेगनेंट महिला को कैसे सोना चाहिए तो चलिए जानते हैं इसके के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी ।

प्रेग्‍नेंसी में तीन तिमाही होती हैं जिनमें पहले तीन महीने गर्भावस्‍था की पहली तिमाही, बाद के तीन महीने प्रेग्‍नेंसी की दूसरी तिमाही और आखिरी तीन महीने प्रेग्‍नेंसी की तीसरी तिमाही कहीं जाती हैं।

गर्भवती महिलाओं को प्रेग्‍नेंसी में किस साइड सोना चाहिए अर्थात कैसे लेटना चाहिए। प्रेग्‍नेंसी के शुरुआती तीन महीनों में लेटने का तरीका क्या हैं, आइए जानते हैं! प्रेग्‍नेंसी की तीन तिमाही में प्रेगनेंट महिलाओं के सोने की पोजीशन अलग-अलग होती हैं।

पहली तिमाही :- इस तिमाही में प्रेग्‍नेंट महिलाएं किसी भी पोजीशन में सो सकती हैं। इन तीन महीनों में आप दाएं व बाएं दोनों ही तरफ करवट ले सकती हैं, सीधी लेट सकती हैं। क्‍योंकि शुरूआती तीन महीने में भ्रूण का आकार छोटा होता हैं, इसलिए गर्भाशय पर किसी भी प्रकार का दवाब नहीं पड़ता है। ऐसे में आप पहले तीन महीनों में किसी भी पोजीशन में सो सकती हैं।

दूसरी तिमाही :- इस तिमाही में प्रेग्‍नेंट महिला को पेट के बल नहीं सोना चाहिए। बल्कि पैरों को सीधा रखते हुए सोना चाहिए।

तीसरी तिमाही :- इस तिमाही में आप दाईं या बाईं करवट , दोनों ही पोजीशन में सो सकती हैं। या फिर आप पैरों को सीधा रखते हुए या पैरों को मोड़कर, करवट लेकर लेटें तथा पैरों के बीच में तकिया लगाकर रखें ताकि सोते वक्त किसी भी प्रकार की परेशानी का आभास न हों। क्योंकि ऐसा करने से शिशु को ब्‍लड सप्‍लाई अच्‍छी मिलती है।

इसके अलावा आप कमर और छाती के नीचे तकिया लगाकर भी लेंट सकती हैं। अगर आप इस तरीके को अपनाते हुए सोते हैं, तो शरीर को आराम महसूस होता हैं। अत: प्रेग्नेंट महिलाओं का बाईं करवट में सोना व सीधे लेटकर सोना ही सबसे बेहतर होता हैं। या फिर गर्भवती महिला के पैरों में यदि सूजन है, तो वह पैरों के नीचे तकिया लगाकर भी सो सकती हैं।

Leave a Reply